उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर से मजबूत बहुमत हासिल हुआ है। इसके बाद भाजपा का निशाना विधान परिषद ( स्थानीय निकायों) के चुनाव पर था और उसमें वह एक तरफा जीतते हुए नज़र आ रहे हैं।
2022 के स्थानीय निकायों विधान परिषद के चुनाव में सबसे अधिक नुकसान मुख्य विपक्षी सपा को होता दिख रहा है और सबसे अधिक फायदा सत्ता रूढ़ दल भाजपा को होता हुआ नजर आ रहा है। यह चुनाव अमूमन सत्ता रूढ़ पार्टी ही प्रदेश भर में चुनाव जीतती है और अपने विधान परिषद सदस्य बनाती है। विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं जो कि 9 मार्च को खाली हुई थी। इन 36 में से भाजपा 9 सीटें पहले ही निर्विरोध जीत चुकी है और जिन 27 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उनमें भी एक दो सीट को छोड़ दें तो सारी सीटें सत्ता रूढ़ भाजपा ही जीतती हुई नज़र आ रही है।

इस तरह स्थानीय निकाय विधान परिषद चुनाव का रिज़ल्ट आते ही भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की विधान परिषद मे बहुमत में आ जायेगी। यह पहला मौका होगा जब भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश विधान परिषद में अपने दम पर बहुमत हासिल कर करेगी।
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की कुल 100 सीटें हैं जिनमें से 90 चुनाव के जरिये और 10 राज्यपाल द्वारा नामित किए जाते हैं।
अभी भाजपा के पास विधान परिषद में 35 सीटें हैं उसमें 9 सीटें निर्विरोध जीती है भाजपा उसको जोड़ दे तो उसकी संख्या हो जाती है 44 उसको विधान परिषद में बहुमत के लिए सिर्फ 7 सीटों की अवसकता रह जायेगी। वहीं अभी 27 सीटों का परिणाम आना बाकी है।
2016 चुनाव का परिणाम:
2016 के विधान परिषद के चुनाव में 36 में से 31 सीटें सपा के खाते में गयी थी और 2 पर बसपा 1 पर कांग्रेस के रायबरेली से दिनेश सिंह (जो कि अब भाजपा के रायबरेली से उम्मीदवार है और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी है), और 2 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए थे। उस समय प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह यादव का झगड़ा भी विधान परिषद के टिकट वितरण से ही शुरू हुआ था जिसमें अखिलेश यादव अपने सभी नौजवान करीबियों को विधान परिषद सदस्य बनवाने मे सफल रहे थे।
इस चुनाव में जिन सीटों की चर्चा सबसे ज्यादा है वो प्रतापगढ़ वाराणसी। काँटे की टक्कर है इन सीटों पर। प्रतापगढ़ और वाराणसी में भाजपा, सपा और अन्य के बीच में त्रिकोणीय मुकाबला है।
प्रतापगढ़ की सीट:

प्रतापगढ़ की सीट से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह मुक़ाबले में हैं। वह पिछले 4 बार से यहाँ से निर्दलीय विधान परिषद सदस्य चुने जाते रहे हैं और इस बार वो राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के टिकट पर मैदान में हैं। वहीं भाजपा और सपा भी राजा भैया को इस चुनाव में मात देने की पूरी कोशिश कर रही है। वहीं अक्षय प्रताप सिंह इस बार भी मजबूत दिख रहे हैं।
वाराणसी की सीट

वाराणसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ का मुकाबला इसलिए दिलचस्प है क्यूंकि यहाँ पिछले 24 साल से बाहुबली नेता बृजेश सिंह के परिवार का कब्जा है। 2016 के चुनाव में भाजपा ने निर्दलीय बृजेश सिंह को समर्थन किया था। इस बार भी बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह निर्दलीय मैदान में हैं। वह MLC रह भी चुकी है। यहाँ की चर्चा तब और तेज हो गई जब भाजपा प्रत्याशी सुदामा पटेल ने अपने ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया कि वो सब बृजेश सिंह से मिले हुए और हमें चुनाव हरा रहे हैं।
इसकी शिकायत उन्होनें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी की है। जीत हार का पता तो परिणाम के बाद ही चलेगा लेकिन यहाँ भाजपा और सपा दोनों को निर्दलीय अन्नापूर्णा सिंह काँटे की टक्कर देती हुई नज़र आ रही है।
वोटिंग कौन कौन करता है इस चुनाव में??
स्थानीय निकाय विधान परिषद चुनाव में सभी जन प्रतिनिधि वोट करते हैं जो कि जनता के द्वारा चुने जाते हैं। प्रधान, बी.ड़ी.सी., जिला पंचायत सदस्य, नगर पालिका/ पंचायत/ निगम के पार्षद (सभासद) और अध्यक्ष, विधायक, सांसद आदि तमाम चुने हुए पदों पर बैठे लोग इन चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं।
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