उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया कस्बे में कल से आज तक 8 लाशें उठ चुकी हैं। जाने कितने घरों में मातम पसरा हुआ है। कौन है इस मातम की वजह? किसकी जिम्मेदारी है इन लाशों की?
क्या है लखीमपुर का पूरा घटनाक्रम
दरअसल लखीमपुर से आने वाले केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी ने कुछ दिनों पहले किसान आंदोलन के बारे में ऊल जलूल बयानबाज़ी की थी। टेनी ने किसान आंदोलन के बारे में 25 सितंबर को एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि “मैं ऐसे किसानों से कहना चाहता हूँ कि सुधर जाओ, नहीं तो सामना करो आके, हम सुधार देंगे, 2 मिनट लगेंगे।”
टेनी के इसी बयान का पिछले लगभग एक हफ्ते से किसान विरोध कर रहे हैं। 3 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया कस्बे में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का कार्यक्रम तय था। किसान इस कार्यक्रम में अपना विरोध दर्ज करवाने पहुँचे थे। किसान नेताओं का और मौक़े पर मौजूद बाक़ी आंदोलनकारियों का कहना है कि इसी विरोध कार्यक्रम से लौटते वक़्त अजय मिश्र टेनी के बेटे और बाक़ी समर्थकों ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी।
किसानों का यह भी दावा है कि अजय टेनी के बेटे ने वहाँ गोली भी चलाई जिससे एक किसान की मौत हो गई। किसानों की तरफ से दी गई FIR में दर्ज कराया गया है कि मंत्री टेनी के बेटे आशीष उर्फ़ मोनू भैया खुद थार गाड़ी चला रहे थे। जब मोनू को पता लगा कि उनके मंत्री पिता को काले झंडे दिखाए गए हैं तो मोनू ग़ुस्से में अपने समर्थकों के साथ वहाँ आता है और विरोध करके वापस लौट रहे किसानों पर पीछे से गाड़ी चढ़ा देता है।
जब 4-5 किसान सड़क पर घायल होकर गिर गए तो मोनू और उसके समर्थकों को बाहर निकाला गया और किसानों ने उनको पकड़ लिया। किसानों ने जब उन पर लाठियाँ भाँजनी शुरू की तो मंत्री पुत्र मोनू ने अपनी बंदूक निकाली और कई राउन्ड फायरिंग की। मंत्री पुत्र की इस फायरिंग में भी एक किसान के सर में गोली लगी और उनकी वहीं मौत हो गई। इसके बाद फायरिंग करते हुए मोनू वहाँ से फ़रार हो गया।
मंत्री जी का कहना है कि उनका बेटा मौक़े पर था ही नहीं जबकि मौक़े पर मौजूद एक सिपाही ने न्यूज चैनल ABP गंगा को बताया कि थार गाड़ी खुद मोनू चला रहा था।
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अब तक इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। आधा दर्जन के करीब लोग अभी भी घायल हैं।
कहीं सड़क पर तो कहीं हिरासत में विपक्ष
जब से यह ख़बर सामने आई है तब से ही किसानों में भारी रोष देखा गया है। कल किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत लखीमपुर रवाना हो गए थे। रास्ते में पुलिस ने उनको बैरिकेडिंग करके रोकने का प्रयत्न भी किया मगर किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ दी। रात करीब 12 बजे प्रियंका गाँधी लखनऊ से लखीमपुर के लिये रवाना हुई तो उन्हें भी जगह जगह रोका गया मगर वह नहीं रुकीं। लगातार 5 घंटे प्रदेश पुलिस को छकाने के बाद उनको सुबह हिरासत में ले लिया गया।

सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सुबह लखीमपुर के लिए रवाना होने लगे तो उनके घर के बाहर ही मौजूद भारी पुलिस बल ने उनको रोक दिया। वे वहीं धरने पर बैठ गए। बाद में उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया।
इसी तरह आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र, चंद्रशेखर आजाद को भी लखीमपुर आने से रोक दिया गया। काँग्रेस के नेता भूपेश बघेल और रँधावा ने भी लखीमपुर आने की कोशिश की मगर उनके प्लेन लैन्डिंग पर पाबंदी लगा दी गई।
राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी अभी भी पुलिस को चकमा देते हुए सड़क पर ही हैं। उन्हें लखीमपुर के रास्ते में रोकने की कोशिश की गई मगर वे पुलिस को चकमा देते हुए आगे निकल गए।

मंत्री का अपनी सफाई में क्या कहना है?
मंत्री अजय टेनी ने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि उनका बेटा आशीष घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। मंत्री ने मीडिया में बयान देते हुए कहा कि लखीमपुर में हमारा एक कार्यक्रम तय था जिसमें केशव प्रसाद मौर्या आने वाले थे। उन्हें लेने के लिए कार्यकर्ता जा रहे थे। हमारे कार्यकर्ताओं की गाड़ियों पर पथराव किया गया जिससे ड्राइवर को चोट लगने पर बैलन्स बिगड़ गया। उसके बाद वहाँ मौजूद किसानों के भेष में उपद्रवी तत्वों ने ड्राइवर और कार्यकर्ताओं को गाड़ी से बाहर निकाल और पीट पीट कर 3 कार्यकर्ताओं को मार डाला।
सरकार क्या कहती है?
प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस घटना पर कल शाम ट्वीट करते हुए शोक जताया और आश्वासन दिया कि दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी। इसके बाद आज विपक्ष के भारी दबाव के चलते प्रशासन ने मृतकों को 45 लाख व घायलों को 10 लाख मुआवजे की घोषणा की। साथ ही मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी घोषणा की। पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जाँच उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज के निर्देशन में करवाई जाएगी।
क्रिकेटर शिखर धवन की उँगली में लगी चोट पर ट्वीट करके दुख व्यक्त करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अधिकांश मुद्दों की तरह इस मुद्दे पर भी खामोश ही हैं। देश में इतनी बड़ी घटना के हो जाने के बाद भी देश के गृहमंत्री अमित शाह की ज़ुबान से एक शब्द भी नहीं निकला है इस घटना पर।
मृतक किसानों के परिवारों की तरफ से मामले में मंत्री के बेटे पर नामजद FIR दर्ज कारवाई गई है। हालाँकि अभी तक मंत्री टेनी और बेटे आशीष उर्फ़ मोनू पर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि इसका ज़िम्मेदार कौन है?
भाजपा के कई नेता लगातार किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए ऊल जलूल बयान देते हुए पाए गए हैं। कभी किसानों को खालिस्तान से जोड़ा जाता है तो कभी पाकिस्तान से। कभी उग्रवादी बताया जाता है तो कभी मवाली।
कुछ दिन पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री भी कैमरा पर अपने कार्यकर्ताओं को हिंसा के लिए उकसाते हुए पाए गए थे। मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि लाठियाँ उठा लो और जेल जाने से मत डरना। जेल से वापस आओगे तो खुद ही बड़े नेता बन जाओगे। इससे पहले करनाल में हुई हिंसा के दौरान भी एक SDM ने अपने पुलिस अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा था कि किसानों के सर फोड़ देना।
अभी भी गृह राज्य मंत्री ने कुछ दिन पहले किसानों को ललकारते हुए 2 मिनट में सुधार देने जैसी बात कही थी। अजय मिश्र टेनी कल ही कार्यक्रम में जाते वक़्त प्रदर्शन कर रहे किसानों को चिढ़ाने के अंदाज में अंगूठा दिखा रहे थे। ऐसे में क्या यह माना जाए कि भाजपा लगातार किसानों को हिंसा के लिए उकसा रही है?